ख्वाहिशों के समुन्दर में, 

एक लहर सी ने ली अंगड़ाई, 

दूर सूरज को डूबता देख के, 

उस माझी ने पुकार लगाई…..  

 

कुछ लहरें हो रही थी उथल पुथल, 

थोड़ी सी कश्ती भी डगमगायी….  

आवाज़ की सरसराहट को देख, 

धड़कनों ने भी दौड़ लगायी….  

 

कुछ छूट सा रहा था जैसे, 

सूरज की किरणों के साथ ढल रहा था ऐसे…..  

 

दूर उस क्षितिज के समान, 

इस प्यार का यही आधार है, 

जैसे सागर को चूमता आसमान, 

मानो तो मिथ्या, मानो तो साकार !!! 

Photo by Cinthia Aguilar on Unsplash